ब्रिटेन की ‘टाइगर हेडमिस्ट्रेस’ बोलीं- बच्चों को रोज घर पर भी पढ़ाएं, 14 की उम्र तक मोबाइल न दें
ब्रिटेन में ‘टाइगर हेडमिस्ट्रेस’ के रूप में चर्चित शिक्षाविद् और सोशल मोबिलिटी कमीशन की चेयरपर्सन कैथरीन बीरबलसिंह का कहना है, ‘पैरेंट्स को रोजाना बच्चों को घर पर भी पढ़ाना और सिखाना चाहिए। स्कूलों और टीचर्स की अपनी सीमा है, वे बेहतर करने की कोशिश करते ही हैं, पर परिवार की ताकत अद्भुत है। पैरेंट्स रोजाना बच्चों से रूबरू बात कर सकते हैं, रोज उन्हें कुछ सिखा सकते हैं और सोने से पहले उनका रिविजन भी करवा सकते हैं।’
वेम्बली में माइकेला कम्युनिटी स्कूल (फ्री) स्कूल की संस्थापक कैथरीन ने पैरेंट्स से कहा है,‘आप भाग्यशाली हो सकते हैं कि स्कूल में बच्चे की बेहतरीन पढ़ाई हो पा रही है। पर ऐसा मानकर ही न चलें। उन्हें घर पर रोज जरूर पढ़ाएं। बहुत सारे पैरेंट्स ऐसा करते भी हैं। पर वे इस बारे में किसी को बताते नहीं हैं। कैथरीन शिक्षा में परिवार के महत्व, पर जोर देती रही हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ रोज रात को बच्चों के साथ बैठकर खाना खाने और उनसे बात करने से उनके विकास पर बड़ा फर्क पड़ता है।
बकौल कैथरीन पैरेंट्स को हमेशा सोचना चाहिए कि अपने बच्चों को कैसे बड़ा किया जाए। वैसे भी कोरोना महामारी और लगातार लॉकडाउन के चलते घर पर सिखाने-पढ़ाने का इससे बेहतरीन मौका कभी नहीं मिला। छोटे बच्चों को प्लेट में रखे मटर के दाने गिनने को कहना या बड़े बच्चों से फिजिक्स के टॉपिक के बारे में पूछना जैसी छोटी चीजें बच्चों के लिए मददगार हो सकती है। इसके लिए आपको विशेषज्ञ होने की जरूरत नहीं है। जो लोग ये नहीं जानते कि बाकी पैरेंट्स अपने बच्चों के लिए क्या कर रहे हैं, वे इतना तो कर ही सकते हैं।
इसके लिए उन्हें रोज शाम सिर्फ 20 मिनट देना भी काफी है। कैथरीन ने हाल ही में पैरेंट्स को सलाह दी थी कि बच्चों को रोज कुछ पढ़ने के लिए प्रेरित करें। 14 साल का होने से पहले उन्हें मोबाइल न दें। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की रिसर्च में दावा किया गया है कि पैरेंट्स के साथ छोटे बच्चों की पढ़ाई और बातचीत उनके लैंग्वेज और आईक्यू स्कोर को बढ़ाती है। इसके अलावा साथ में पढ़ाई से पैरेंट्स के साथ बॉन्डिंग भी मजबूत होती है।
तो 5 की उम्र तक 2.9 लाख नए शब्द सुन लेंगे बच्चे
मैकिंजे की एक स्टडी में दावा किया गया था कि घर पर पढ़ने और सीखने वाले बच्चे क्लास में भी बेहतर प्रदर्शन करते हैं। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की स्टडी कहती है कि परिवार, समाज और स्कूल मिलकर एक सीरीज या सिलसिले की तरह काम करते हैं। ये कड़ियां मजबूत हों तो बाकी नकारात्मक प्रभाव कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी की स्टडी के मुताबिक जो बच्चे पैरेंट्स के साथ रोज एक किताब पढ़ते हैं, ऐसे बच्चे पांच साल के होने तक 2.9 लाख नए शब्द सुन चुके होते हैं। स्कूल जाने पर उन्हें किताबें पढ़ने में समस्या नहीं होती।
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