लखीमपुर कांड के पीड़ितों के परिजनों से मिले CJI, मीडिया हाउस के गलत ट्वीट पर SC की टिप्पणी; कुछ लोग हद पार कर रहे हैं
लखीमपुर खीरी से ही जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान देश की सबसे बड़ी अदालत ने इस ट्वीट को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण कहा और साथ ही साथ यह भी कहा कि मीडिया को तथ्यों की जांच-पड़ताल करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि, हमें ऐसा लगता है कि कुछ लोग बोलने की आजादी की हद पार कर रहे हैं। उन्हें तथ्यों की जांच-पड़ताल करनी चाहिए। यह पूरी तरह से गलत दिखाया जा रहा है। मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस सूर्यकांत और हिमा कोहली की एक संयुक्त बेंच ने अपनी टिप्पणी में यह बात कही।
अदालत में यह मामला उस वक्त उठा जब एक वकील ने बेंच को बताया कि गुरुवार को एक मीडिया संगठन ने ट्वीट कर कहा कि सीजेआई ने लखीमपुर खीरी कांड के पीड़ित परिवारों से मुलाकात की है। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से अदालत में पेश वरिष्ठ वकील हरीष साल्वे ने कहा, 'हम सभी को इस तरह की गैरजिम्मेदाराना ट्वीट मिलते हैं। मैंने अपने बारे में भी कुछ ऐसे ट्वीट देखे हैं।'
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एन वी रमन्ना ने कहा कि उन्होंने कुछ तो समझ होना चाहिए। मैं कोर्ट में बैठा था..मैं कैसे वहां जा सकता हूं और परिवार से मिल सकता हूं। खैर छोड़िए इसे वहीं...हमें इन सब चीजों में नहीं पड़ना चाहिए। सार्वजनिक जीवन में हमें यह सब मिलते ही रहेंगे।' सीजेआई ने कहा कि यह सब जीवन का हिस्सा है।
उच्चतम न्यायालय ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपियों को गिरफ्तार ना करने को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार से कहा, 'आप क्या संदेश दे रहे हैं।' उच्चतम न्यायालय ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार से कहा 'क्या आप देश में हत्या के अन्य मामलों में भी आरोपियों के साथ ऐसा ही व्यवहार करते हैं ?' उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे को उसका यह संदेश राज्य सरकार को देने को कहा कि लखीमपुर खीरी मामले में सबूत नष्ट ना हों ।
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