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शराबंदी को लेकर उमा भारती ने अपनी ही सरकार पर साधा निशाना, शिवराज सरकार को दी बिहार और गुजरात से सीख लेने की सलाह


मध्य प्रदेश (madhya pradesh) के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी की सीनियर लीडर उमा भारती (former cm uma bharti) फिर अपनी ही सरकार को घेरती हुई नजर आई हैं. उमा भारती ने एक बार फिर शराबबंदी का मुद्दा उठाया है. नवरात्रि के मौके पर उमा भारती मंगलवार को मैहर की माँ शारदा के दर्शन करने पहुंची थी. जहां उन्होंने मां शारदा देवी की पूजा-अर्चना की. यहां पत्रकारों से चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि मां शारदा देवी उनकी कुल देवी हैं. वो हमेशा यहां आती हैं. बीते साल वो करोना संक्रमण की वजह से नहीं आ सकी थी.

उन्होंने कहा, दर्शन कर देश को करोना महामारी जैसी आपदा से मुक्ति के लिए प्रार्थना की है. उमा भारती हर बार सप्तमी को मैहर दर्शन करने आती हैं. शराब को लेकर उमा ने कहा कि नशा करने के बाद आदिवासी समाज असभ्य नहीं होता है. असभ्य तो शहराती समाज होता है. सर्वाधिक आदिवासी वर्ग मध्य प्रदेश और गुजरात में हैं. उन्होंने कहा कि अपने अभियान से मध्य प्रदेश को भी मदिरा मुक्त करवाएंगी, लेकिन इसके पहले जागरूकता अभियान चलाना जरूरी है.

बीजेपी के कार्यकर्ता करते हैं शराब से नफरत

उन्होंने कहा कि शराब बंदी के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा से लगातार बात चल रही है और वो उनके साथ हैं. उन्होंने कहा कि दोनों ही शराब से नफरत करते हैं, यहां तक कि पार्टी के कार्यकर्ता भी शराब से दूर रहते हैं. वहीं, उमा भारती ने मध्य प्रदेश में हो रहे उप चुनाव पर महंगाई, बेरोजगारी को वैश्विक समस्या बताया और बीजेपी की जीत का दावा किया है.

नशा करने के बाद आदिवासी समाज असभ्य नहीं होता

उमा ने कहा कि नशा करने के बाद आदिवासी समाज असभ्य नहीं होता है. असभ्य तो शहराती समाज होता है. दरअसल हाल ही में प्रदेश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने आदिवासियों को लेकर बड़ा ऐलान किया था. शिवराज ने ऐलान किया था कि आदिवासी परंपरा के लिए शराब बना भी सकेंगे और बेच भी सकेंगे, उन पर इसके लिए कोई एफ़आईआर दर्ज नहीं होगी.

इस बात को लेकर जब उमा से सवाल किया गया कि एक ओर सरकार शराबबंदी को लेकर सामाजिक चेतना लाने का दावा कर रही है, दूसरी ओर परंपरा के नाम पर शराब बनाने और बेचने वालों को बढ़ावा दे रही है. तो इस पर उमा भारती ने कहा कि आदिवासी समाज शराब पीकर असभ्यता नहीं करता, लेकिन शहर में रहने वाला शराब पीकर असभ्यता करता है.

प्रदेश में होने वाले उपचुनाव में है आदिवासी सीटे

गौरतलब है कि प्रदेश में बड़ी संख्या में आदिवासी (ST) बाहुल्य सीटें हैं, जिसमें से एक सीट जोबट पर उपचुनाव भी है. इतना ही नहीं, खंडवा लोकसभा उपचुनाव में भी बड़ी संख्या में आदिवासी वोटर वोट करेगा. खंडवा लोकसभा में 8 विधानसभा आती है, जिसमें मान्धाता, बुरहानपुर, बड़वाह, बागली, पंधाना, नेपानगर, बीकनगांव और खंडवा शामिल हैं. इसमें से 4 सीट बागली, पंधाना, नेपानगर, बीकनगांव सीटें अनुसूचित जनजाति और खंडवा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है.

उमा ने ये भी कहा कि प्रदेश सरकार शराब बंदी को लेकर गुजरात और बिहार से सीखना चाहिये. उन्होंने शराबंदी कर अपने राजस्व के घाटे को कैसे रिकवर किया है, उमा भारती ने शराब बंदी को लेकर बिहार के सीएम नीतीश कुमार की तारीफ की है.

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