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संघ की शाखाओं में अब मूक-बधिर साइन लैंग्वेज में कर सकेंगे प्रार्थना, 5 साल में तैयार हुई इस प्रार्थना को मोहन भागवत ने किया लॉन्च


संघ की शाखाओं ( Sangh shakha) में अब मूक-बधिर भी अपनी भाषा में प्रार्थना कर सकेंगे. संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने इंदौर में साइन लैंग्वेज (sign language) में संघ की प्रार्थना को लॉन्च किया है. साइन लैंग्वेज एक्सपर्ट ज्ञानेंद्र पुरोहित और मोनिका पुरोहित की मुलाकात संघ प्रमुख से हुई थी. इस दौरान उन्होंने संघ की ये प्रार्थना जो साइन लैंग्वेज में तैयार की है. उसका मोहन भागवत के सामने प्रजेंटेशन दिया. जिसके बाद सर संघ संचालक मोहन भागवत द्वारा इसे लांच कर सबके सामने लाया गया है.

इसी के ही साथ मोनिका पुरोहित और ज्ञानेंद्र पुरोहित की मोहन भागवत से इस हुई मुलाकात के दौरान उन्होंने देशभर में मूक-बधिर और दिव्यांग लोगों के लिए कार्य करने पर भी संघ प्रमुख से चर्चा की है

देश का एकमात्र मूक-बधिर थाना है इंदौर में

इंदौर में देश का एकमात्र मूक-बधिर थाना मौजूद है जिसे आनंद सर्विस सोसायटी के द्वारा संचालित किया जाता है. देशभर में मूक-बधिर थानों को खोलने पर भी संघ प्रमुख से साइन लैंग्वेज एक्सपर्ट की चर्चा हुई है. साइन लैंग्वेज एक्सपर्ट ने संघ प्रमुख को मूक-बधिर और दिव्यांग जनों पर होने वाले अत्याचार और उसके बाद उन्हें मिलने वाले न्याय को लेकर चर्चा की है.

5 साल में तैयार हुई है संघ की प्रार्थना

आनंद सर्विस सोसायटी के ज्ञानेंद्र पुरोहित के मुताबिक लगभग पिछले 5 सालों से वे संघ की प्रार्थना को तैयार कर रहे थे इसमें सबसे बड़ी चुनौती संस्कृत के शब्दों को लेकर थी. 5 साल में इस प्रार्थना को तैयार करने के बाद अब संघ प्रमुख के इंदौर में होने के बाद ही इसे लांच किया गया है.

भाई की मुश्किल ने दिखाया रास्ता

ज्ञानेद्र पुरोहित ने अपने निजी अनुभव के बाद इस प्रार्थना को बनाया है. उन्होंने बताया कि जब वे अपने मूक बधिर भाई को लेकर संघ की शाखाओं में जाते थे तो वो वहां गाई जाने वाली प्रार्थना को वो समझ नहीं पाता था और पूछता था कि ये लोग क्या गा रहे हैं.

तभी से मेरे दिमाग में आया कि संस्कृत की इस प्रार्थना को मूक बधिरों के लिए कैसे तैयार किया जाए. हिंदी और अंग्रेजी को तो मूक बधिर इशारों में समझ लेते हैं लेकिन संस्कृत को समझना मुश्किल था. लेकिन हमने हिम्मत नहीं हारी और संघ की प्रार्थना नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे को साइन लैंग्वेज में तैयार कर दिया.

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