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देश में दूसरे और महिलाओं में पहले स्थान पर रहीं जाग्रति अवस्थी, गेट में 51वीं रैंक हासिल कर के ऐसे की IAS की तैयारी


यूपीएससी की परीक्षा (UPSC Result) में ऑल इंडिया 2nd रैंक और महिलाओं की फेहरिस्त में देशभर में 1st रैंक हासिल करने वाली भोपाल (Bhopal) की जाग्रति अवस्थी (Jagriti Awasthi) बेहद उत्साहित हैं. जागृति एक मध्यमवर्गीय परिवार से जिन्होंने दो साल नौकरी छोड़ कर यूपीएससी की तैयारी की. जागृति इससे पहले गेट एग्जाम में भी 51वी रैंक हासिल कर चुकी है.

जाग्रति के पिता प्रोफेसर डॉ एससी अवस्थी, शासकीय होमियोपैथी चिकित्सा महाविद्यालय में प्रोफेसर हैं जबकि उनकी मां मधुलता अवस्थी हाउसवाइफ हैं. मधुलता खुद भी एक टीचर थीं लेकिन बच्चों की पढ़ाई के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी. सेंकेड टॉपर जाग्रति ने 2017 में मेरिट से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और उसके बाद गेट में 51वी रैंक हासिल करके बीएचईएल भोपाल में नौकरी शुरू की. 2 साल बाद नौकरी छोड़कर जाग्रति ने यूपीएससी की तैयारी की और आज ऑल इंडिया सेकंड रैंक पाकर वह काफी उत्साहित महसूस कर रही है. जाग्रति ने अपने इस सफर को लेकर TV9 भारतवर्ष से खास बातचीत की.

जागृति 12 से 14 घंटे करती थी पढ़ाई

अपने रिजल्ट को लेकर जागृति से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि बहुत अच्छा लग रहा है. पूरा एक साल डेडीकेटेड होकर तैयारी की, जुलाई 2019 में नौकरी छोड़ी, 2020 में प्रेलिम्स हुआ, बहुत मेहनत की है. वहीं उन्होंने बताया कि शुरुआती महीनों में 8 से 10 घंटे रोज पढ़ाई करती थी. उसके बाद एग्जाम नजदीक आए तो 10 से 12 घंटे, फिर 12 से 14 घंटे पढ़ाई की.

बीएचईएल में दो साल की इंजीनियर की जॉब

नौकरी छोड़ कर यूपीएससी की तरफ मुड़ने को लेकर पूछने पर जागृति ने कहा कि पहले नौकरी करते हुए 2019 में मैंने प्रीलिम्स दिए, मेरा नहीं हुआ, लेकिन जब मैंने सवाल देखे तो मुझे लगा कि मैं यह कर सकती हूं. मैंने सोचा मुझे नौकरी छोड़नी होगी. मेरे भाई ने मुझे बहुत मोटिवेट किया. फिर मैंने प्रिपेयर किया. जागृति ने आगे कहा कि मैंने भोपाल में बीएचईएल में इंजीनियर की जॉब की है. 2017 में मैंने गेट का एक्जाम दिया था, जिसके बाद मैं बीएचईएल में नौकरी करने लगी थी, मेरी गेट में 51 भी रैंक थी.

रूरल डेवलपमेंट के क्षेत्र में जताई काम करने की इच्छा

जागृति से जब पूछा गया कि आगे वह किस सेक्टर में काम करना चाहती है तो उन्होंने कहा कि मैं रूरल डेवलपमेंट के क्षेत्र में काम करना चाहती हूं. मैं जानती हूं कि इंडिया का बहुत बड़ा टैलेंट रूरल एरियाज में है. मैं चाहती हूं कि उसे बाहर लाया जाए, तो मुझे लगता है की इंडिया का बहुत डेवलपमेंट हो सकता है. वहीं जागृति ने अपनी इस सफलता का क्रेडिट अपने पेरेंट्स खास तौर पर अपने भाई और टीचर्स को दिया.

मां बोली बच्चे को क्षमता के हिसाब से करना चाहिए सपोर्ट

वहीं जागृति की इस सफलता पर उनकी मां मधुलता अवस्थी ने कहा कि बहुत खुशी हो रही है और उन्हें बेटी को लेकर कोई भी परेशानी नहीं हुई. उन्होंने साथ ही कहा कि हर महिला को अपने बच्चों को पढ़ने के लिए पूरी मदद करना चाहिए. मधुलता अवस्थी ने कहा कि कभी यह नहीं सोचना चाहिए, यह बेटी है या बेटा है. अगर उसमें क्षमता है तो उसको आगे बढ़ने के लिए पूरा सपोर्ट करना चाहिए.

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