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घर में 50 साल बाद बेटी ने लिया जन्म, गाजे-बाजे के साथ किया स्वागत; रास्ते में बिछाए गए फूल


मध्य प्रदेश का चंबल (madhya pradesh chambal) वो इलाका है जहां अगर घर में बेटी पैदा हो जाए तो मातम छा जाता था. लोग बेटे की चाह में बेटियों की बलि चढ़ाने में एक बार नहीं सोचते थे, लेकिन अब समय के साथ लोगों की सोच बदल रही है. अब बेटी के पैदा होने पर मातम नहीं बल्कि जशन मनाया जाता है. भिंड (bhind) के मेहगांव में ऐसा ही एक जशन मनाया गया. यहां रहने वाले सुशील शर्मा के घर 50 साल बाद बेटी का जन्म हुआ है. परिवार अपने घर बेटी के जन्म से इतना खुश है कि बेटी के घर पर आने की खुशी में फूलों की बारिश की गई है.

बेटी के घर आगमन पर उसका स्वागत में फूल बिछाए गए और तुलादान कराया गया. लाड़ली लक्ष्मी का स्वागत करते हुए पद चिह्न लिए गएय. बेटी के जन्म के बाद गृह प्रवेश के दौरान जश्न का माहौल रहा. परिवार के सदस्यों ने एक दूसरे को बेटी के आगमन पर बधाइयां दी.

सुशील शर्मा के घर पिछले 50 साल से नहीं थी कोई लड़की

मेहगांव में रहने वाले सुशील शर्मा और रागिनी शर्मा के घर 16 सितंबर को बेटी का जन्म हुआ था. सुशील शर्मा के घर इसके पहले उनकी बुआ का जन्म हुआ था. इसके बाद उनके कोई बहन नहीं थी. सुशील, मन ही मन बहन की कमी हमेशा महसूस करते आ रहे थे. सुशील की बेटी का जन्म ग्वालियर के प्राइवेट अस्पताल में हुआ था.

पौती के जन्म की जानकारी दादा ने की सबसे साझा

घर में पौती के जन्म के बाद दादा प्रदीप शर्मा ने स्थानीय स्तर पर बेटियों के जन्म पर उत्सव मनाने वाली समाजसेवी संस्था कैंप के सदस्यों को इस बात की जानकारी दी. इसके बाद कैंप संस्था के सदस्य मेहगांव सुशील के घर आए. सर्वप्रथम बेटी के आगमन रास्ते में फूल बिछाए. तुलादान किया. पैरों के पद चिह्न लिए. इसके साथ ही गाजे-बाजे के साथ गृह प्रवेश कराया गया.

बेटी के स्वागत देखने दूर-दूर से आए लोग

मेंहगांव कस्बे में बेटी के जन्म के बाद प्रवेश उत्सव मनाया गया।. समाज सेवी संस्थान के पदाधिकारी ने क्षेत्रीय लोगों को आने का आमंत्रण दिया. इसके बाद उत्सव देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग वहां पहुंचेय. सुशील शर्मा के मुताबिक बिटिया के स्वागत के लिए उन्होंने कैंप के सदस्यों से संपर्क कर उनको अपने यहां आमंत्रित किया. करीब 3 घंटे की तैयारी और लाडली को गाजे बाजे के साथ गृह प्रवेश कराया.

बता दें कि जनगणना 2011 के अनुसार मध्यप्रदेश के भिंड जिले में कुल जनसंख्या के हिसाब से सबसे कम 1 हजार पुरुषों पर 838 महिलाएं थीं. इसके बाद मुरैना जिले में 1 हजार पुरुषों पर 839 महिलाएं थीं.

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