तो बीजेपी को मिल गया बंगाल में सीएम का चेहरा? दिलीप घोष के बयान के बाद अटकलें तेज
घोष ने कहा, 'यह फैसला पार्टी करेगी लेकिन जरूरी नहीं कि किसी विधायक को मुख्यमंत्री बनाया जाए... जब ममता जी मुख्यमंत्री बनी थीं तब वह विधायक नहीं थीं।'
बता दें कि साल 2011 में जब ममता बनर्जी ने लेफ्ट फ्रंट की सरकार को शिकस्त दी थी तब वह लोकसभा सांसद थीं। चुनाव बाद वह भवानीपुर सीट से लड़ीं। उस सीट पर उपचुनाव होना था।
घोष ने कहा, 'पहले चरण के मतदान के बाद सिर्फ बीजेपी ही अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है। तृणमूल कांग्रेस और उसके नेता परेशान हैं। जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ेगा तृणमूल कार्यकर्ताओं को अपनी हार का एहसास होता जाएगा।'
यह बयान के बाद तुरंत यह अटकलें जोर पकड़ने लगी हैं कि बंगाल में अगर बीजेपी जीतती है तो घोष ही अगले मुख्यमंत्री बन सकते हैं। दरअसल, एक मात्र घोष ही ऐसा जाना-पहचाना चेहरा हैं जो कि मिदनापुर से लोकसभा सांसद भी हैं और जो बंगाल चुनाव नहीं लड़ रहे हैं।
बीजेपी ने बंगाल विधानसभा चुनावों में अपने चार लोकसभा और राज्यसभा सांसदों को टिकट दिया है। इनमें केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो और राज्यसभा सदस्य स्वपन दासगुप्ता भी शामिल हैं, जिन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए राज्यसभा से इस्तीफा दिया है।
पीएम मोदी ने भी की थी तारीफ
पीएम मोदी ने भी राज्य में चुनाव प्रचार के दौरान खड़गपुर की रैली में दिलीप घोष की जमकर तारीफ की थी। तभी से इस बात की चर्चा है कि दिलीप घोष ही बीजेपी के लिए बंगाल में सीएम का चेहरा हो सकते हैं। पीएम मोदी ने रैली के दौरान कहा था, 'मैं निश्चिंत हूं कि बंगाल में हमारी सरकार आने जा रही है। यह गर्व की बात है कि हमारे पास दिलीप घोष जैसे नेता हैं। दिलीप घोष न चैन से सोए हैं और न दीदी की धमकियों से डरे हैं। उन पर अनेक हमले हुए हैं। मौत के घाट उतारने की कोशिश हुई लेकिन वह बंगाल के उज्ज्वल भविष्य का प्रण लेकर चल पड़े और आज पूरे बंगाल में नई ऊर्जा भर रहे हैं।'
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