हॉन्गकॉन्ग में बढ़ी चीन की दादागीरी, 'देशभक्त' ही लड़ सकेंगे चुनाव, नया कानून पारित
इस विशेष प्रशासनिक क्षेत्र में अब ऐसे लोग ही चुनाव लड़ सकेंगे, जिनकी बीजिंग के प्रति आस्था हो। हॉन्गकॉन्ग में चीन के इस फैसले का विरोध भी हो रहा है। आलोचकों का कहना है कि इससे शहर में लोकतंत्र और विपक्ष का खात्मा हो जाएगा। इससे पहले हॉन्गकॉन्ग में चीन ने नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून भी लागू किया था। इस कानून का भी तीखा विरोध हुआ था और इसे लोकतंत्र के खिलाफ बताया गया था। दरअसल हॉन्गकॉन्ग में अपने विरोध की आवाजों को कुचलने के लिए चीन की ओर से तेजी से कानूनों में बदलाव किए जा रहे हैं और नए नियम लागू किए जा रहे हैं। 2019 में लागू हुए नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का तीखा विरोध हुआ था और हॉन्गकॉन्ग में लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन हुए थे।
मार्च की शुरुआत में ही चीन की संसद नेशनल पीपल्स कांग्रेस ने चुनाव सुधार के प्लान को मंजूरी दी थी। चीन की सरकारी एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक एनपीसी स्टैंडिंग कमिटी ने बहुमत से प्रस्ताव को पारित किया है। इस नए कानून के तहत हॉन्गकॉन्ग के संविधान में संशोधन हो जाएगा। नए कानून के मुताबिक हॉन्गकॉन्ग में चुनाव लड़ने वाले किसी भी शख्स की उम्मीदवारी की समीक्षा एक कमिटी की ओर से की जाएगी। इसके लिए इलेक्शन कमिटी बनाई जाएगी। यह कमिटी उम्मीदवारों की मॉनिटरिंग करेगी और नेशनल सिक्योरिटी अथॉरिटीज के साथ मिलकर काम करेगी ताकि देशभक्त उम्मीदवारों का चयन हो सके।
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