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1 अप्रैल से आयकर रिटर्न भरने का नया नियम, बच नहीं पाएंगे टैक्स चोर


कोरोना महामारी के चलते वित्त वर्ष 2019-20 का संशोधित या विलंबित आईटीआर भरने की मियाद बढ़ा दी गई थी। हालांकि, एक बार फिर से केंद्र सरकार ने वित्त विधेयक-2021 के तहत नियम में बदलाव किया है। इसके अनुसार, अगर आप देरी से आयकर रिटर्न भरते हैं तो 1 अप्रैल, 2021 से अधिक विलंब शुल्क देना होगा।

मौजूदा नियम के तहत अगर करदाता आकलन वर्ष का रिटर्न मार्च तक भरने के लिए स्वतंत्र थे। वहीं, इसके बाद दिसंबर तक भरने पर 5000 रुपये का शुल्क और मार्च के अंत तक 10,000 रुपये का शुल्क देना पड़ता था। लेकिन अप्रैल से शुरू होने से यह सुविधा खत्म हो जाएगी। कर दाताओं के पार 10000 रुपये देकर बीते वित्त वर्ष का रिटर्न भरने की सुविधा मार्च तक नहीं रहेगी। यह सुविधा दिसंबर तक ही खत्म हो जाएगी। इस अवधि के लिए शुल्क 5000 रुपये ही होगी। हालांकि, अगर आपकी आय पांच लाख रुपये तक है तो आपको 1,000 रुपये का ही शुल्क देना होगा।

रिफंड की प्रक्रिया जल्द पूरी करने की कवायद

कर विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम रिफंड की प्रक्रिया जल्द पूरी करने के लिए उठाया गया है। गौरतलब है कि आयकर विभाग रिफंड जल्द से जारी करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। इस दिशा में कई बदलाव भी विभाग ने किए है। हाल ही में विभाग ने आयकर रिटर्न के साथ आधार नंबर नहीं देने पर 1000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

रिटर्न नहीं भरने पर नोटिस भी संभव

विशेषज्ञों के अनुसार, अगर आपने तय समय तक आयकर दाखिल नहीं किया है तो आयकर विभाग आपको नोटिस भी भेज सकता है, अगर उसे मालूम होता है कि आपके पास कर योग्य आय है। ऐसे मामलों में, आपको विलंबित अवधि के लिए ब्याज के साथ देय कर राशि पर जुर्माना का भी भुगतान करना पड़ सकता है। ऐसे में अगर किसी करदाता के पास कर योग्य आय है, लेकिन वह रिटर्न नहीं भरता है तो बाद ने मुश्किल हो सकती है।

कर चोरी करना मुश्किल होगा

अब तक करदाता कर बचाने या अन्य कारणों से शेयर ट्रेडिंग या म्युचुअल फंड निवेश के बारे में खुलासा नहीं करते थे। अब आयकर विभाग के अधिकारी सीधे आपके ब्रोकरेज हाउस, एएमसी या पोस्ट ऑफिस से इन चीजों के बारे में जानकारी लेंगे, इसलिए करदाता के लिए अपनी आय के स्रोत और निवेश के बारे में जानकारी छिपाना मुश्किल होगा।

कौन देगा आपकी जानकारी

आयकर की धारा 114 ई के तहत बचत योजना में जमा रकम विशेष फंड ट्रासफर (एसएफटी) में आते हैं। इसका मतलब हुआ कि अगर किसी निवेशक ने म्युचुअल फंड बेचकर लाभ कमाया है, तो फंड हाउस उसके खाते की जानकारी आयकर विभाग तक पहुंचाएंगे। बैंक या डाकघर की बचत योजनाओं में जमा रकम पर मिले ब्याज की जानकारिया भी आयकर विभाग को देंगे। इसी तरह शेयर बाजार, कंपनिया, म्यूचुअल फंड हाउस, डाकघर आदि भी देंगे।

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